अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद्, दरभंगा द्वारा प्रकाशित प्रो. विश्वनाथ झा द्वरा लिखल मिथिलाक्षर अभ्यास पुस्तक सँ -- डॉ. अमरनाथ झा द्वरा अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद्क अष्टम अधिवेशन (दरभंगा) में देल गेल अध्यक्षीय भाषण के किछु अंश.....
“.......यावत अपने लोकनि मैथिली लिपिक प्रचार नहि बढ़ाएव तावत् मैथिली भाषाक जड़ि सुदृढ़ नहिए होयत। एकमात्र मिथिलाक्षरक प्रचार बढ़ओने अनायास मैथिलीक रक्षा होइत रहत अन्यथा सतत् आन मैथिलीक क्षेत्र के संकुचिते करवाक चेष्टा मे लागल रहत। अतएव सबहुगोटे ई प्रतिज्ञा करू जे जहाँ धरि हो मैथिलीए लिपिक व्यवहार घर ओ बाहर में करब”
“.......यावत अपने लोकनि मैथिली लिपिक प्रचार नहि बढ़ाएव तावत् मैथिली भाषाक जड़ि सुदृढ़ नहिए होयत। एकमात्र मिथिलाक्षरक प्रचार बढ़ओने अनायास मैथिलीक रक्षा होइत रहत अन्यथा सतत् आन मैथिलीक क्षेत्र के संकुचिते करवाक चेष्टा मे लागल रहत। अतएव सबहुगोटे ई प्रतिज्ञा करू जे जहाँ धरि हो मैथिलीए लिपिक व्यवहार घर ओ बाहर में करब”
उज्ज्वल झा
मिशन मिथिलाक्षर लिपि
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