.......कोनो भाषाक स्थायी अस्तित्व ओहि भाषाक स्वतंत्र लिपिक व्यवहार पर निर्भर करैत अछि। एकरे आधार मानि मिशन मिथिलाक्षर मिथिलाक्षर लिपि के संरक्षण, संवर्द्धन एवं जन-जन के लिपि बनावै के लेत कृतसंकल्पित अछि। मिथिलाक्षरक वर्ण लिखावट के संबंध में किछु मैथिल विद्वान में भिन्नता छैन, सब गोटे अपन-अपन पक्ष में तर्क रखने छथि। मुदा हम मानकीकरण के पक्ष में छी, आ हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे, जखन अपन भाषाक लिपि प्रयोग होमय लागत त स्वतः ओकर मानकीकरण भ जेतै। यौ पहिले अपन मिथिलाक्षर लिपि के व्यवहार में त आनू आ से केना आयत त मिथिलाक्षर सिखला सँ ओकर प्रयोग केला सँ। चलू एकटा प्रयोग करैत छी पहिने स्वंय सिखै छी, ई संकल्प के साथ जे अपने सिखब आ सिखला के बाद कम सँ कम पाँचगोटे के सिखायब। मां जानकी सहाय छथि एक नई एक दिन अपने सब जरूर सफल होयब। जय मिथिला जय मिथिलाक्षर।
उज्ज्वल झा
मिशन मिथिलाक्षर लिपि
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