Monday, February 11, 2019
मिशन मिथिलाक्षर
मिथिलाक्षर सिखू
और सिखाऊ
मिथिला भारतक अति प्राचीन सांस्कृतिक इकाई में
सँ एक छल। कतेको शताब्दी धरि एहिठाम अपन स्वतंत्र राजतंत्र सेहो रहल अछि। जनक
कालीन प्राचीन मिथिलाक के वैभव आ विद्वता जगजाहिर अछि। कवि चंदा झा
मिथिला क्षेत्र के किछु एहि प्रकार सँ पारिभाषित कयने छथि–
“गंगा बहति जनिक
दक्षिण दिसि पूर्व कौशिकी धारा,
पश्चिम बहति गण्डकी उत्तर हिमवत बल विस्तारा।
कमला त्रियुगा अमृता धेमुड़ा वागमती कृतसारा,
मध्य वहत लक्ष्मणा प्रभृति से मिथिला विद्यागारा”।।
प्राचीन काल सँ एखनि धरि तक मिथिला अपन
ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति, धर्म-दर्शन आ ज्ञानोत्पार्जन में अग्रणी रहल अछि।
याज्ञवलक्य, कालिदास, मंडन मिश्र, अयाची मिश्र, विद्यापति आदि अनेको मनीषी एहि
मिथिला भूमि पर अवतरित होईत रहलाह। मुदा पता नहिं, सम्प्रति मिथिला में केहेन बसात
बहल जे प्रबुद्ध मैथिल संग श्रमिक वर्ग सेहो मिथिला सं पलायन क गेलाह, जाहि सं
मिथिलाक विकासक पहिया जेना ठप्प भ गेल अछि। मिथिलाक ई दशा कोनो भीषण युद्धक प्रभाव
सं नहि भेल अछि, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एहि क्षेत्र के अपन हाल पर
छोड़ि देल गेल। जे जनप्रतिनिधि बनलाह से कहियो मिथिला सं मतलब नहि रखलैथ। उपेक्षाक
दंश सं पीड़ित ई क्षेत्र पिछड़ैत चलि गेल। एकर दशा कोनो आसाध्य व्याधि सं ग्रस्त
मनुक्ख सनके भ गेल अछि। एहेन अवस्था में सिर्फ अतीतक गुणगान करैत रहला सं मिथिला
व्याधिमुक्त नहि भ सकैत अछि। किछु एहन बिंदु अछि जाहि पर व्यापक चेतना आ आत्ममंथन
आवश्यक अछि। एहि में सं एक अछि मिथिलाक्षर लिपि के पुनर्जीवित केनाई। मैथिली भाषा
के भारत सरकार सन् 2003 ई. में संविधानक अष्टम अनुसूची में शामिल कयलक। लेकिन
बिडंवनाक बात ई जे मैथिली भाषाक प्रमुख लिपि (मिथिलाक्षर/तिरहुता) के संरक्षण आ
संबंर्द्धन पर ध्यान दै के बजाए एकर लिपि देवनागरी मानल गेल।
मिथिलाक्षर
लिपि के संबंध में दू टूक बात – मिथिलाक्षर-लिपि के इतिहास सं ई
स्पष्ट होईत अछि जे एहि लिपि सं बाँग्ला आ असमिया आदि लिपिक जन्म भेल अछि। बांग्ला
भाषाक तत्कालीन विद्वान् डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी अपन पुस्तक “The Origin and
Development of the Bengali Language” में स्पष्ट रुप सँ उल्लेख
कैने छथि जे बाँग्ला लिपिक उत्त्थान में मिथिलाक्षर-लिपिक अविस्मरणीय योगदान अछि।
एहि सँ पैघ दुर्भाग्य की भ सकैत अछि जे मिथिलाक्षर-लिपि, बाँग्ला
आ असमिया लिपिके मातृलिपि रहितहुँ, मृत अवस्था में पहुँचि
गेल अछि। मिथिलाक्षर लिपि के विलुप्त होयबाक मुख्य कारण मिथिलांचलक प्रबुद्ध वर्गक
एहि लिपि के प्रति उदासीनता आ उपेक्षा रहल, जे संक्रमण काल में एहि लिपिके संरक्षण
नहिं क सकलाह।
एखन
मिथिलाक्षर लिपिक प्रमुख श्रोत पाण्डुलिपि अछि। पाण्डुलिपि ओहि दस्तावेज के कहल
जाइत अछि जे एक या एक सं अधिक मनुक्खक द्वारा हस्तलिखित हो। प्राचीन काल में
ऋषि-मुनि, जखन विचार-मीमांसा करैत छलाह, तखन अपन ज्ञान के अनेकों तरीका सं जेना
भित्तिचित्र, शिलापट्ट, ताड़पत्र, ताम्रपत्र, कागज आदि पर लिपिबद्ध करैत या कराबैत
छलाह। एकर मुख्य उद्देश्य, कठिन मेहनत सं अर्जल ज्ञानक अति प्राचीन आ समृद्ध
परंपराक संरक्षण छल। पाण्डुलिपि में लिपिबद्ध एहि ज्ञानक अध्ययनक वास्ते देश-विदेशक
अनेको विद्वान मिथिला अबैत रहलाह। एहेन विद्वान सब में सं जर्मनीक प्रखर विद्वान
मैक्समूलर के नाम उल्लेखनीय अछि। मैक्समूलर अपन पुस्तक में लिखने छथि – “एहि संसार में ज्ञानी आ पंडितक देश
केवल भारत अछि, जतय विपुल ज्ञान-संपदा पाण्डुलिपि में संरक्षित अछि”।
मिथिलाक्षरक
वर्ण परिचय - मिथिलाक्षर-लिपि में कुल 82 टा संकेताक्षर अछि: स्वर वर्ण अक्षर – 14,
व्यंजन वर्ण अक्षर – 33, स्वर चिन्ह – 15, चिन्ह – 5, विराम चिन्ह – 3, विशेष
चिन्ह – 2, अंक – 10।
उठू मैथिल जागु
अवेर भय गेल!
देखू आंखि खोलि
कते वेर भय गेल?
मिथिलाक्षर-लिपि
के पुनर्जीवित आ पुनर्स्थापित करैक वास्ते “मिशन मिथिलाक्षर, दूर्वाक्षत (रजि.)” कृतसंकल्पित
भ एहि लिपिक प्रचार-प्रसार, संरक्षण आ संवर्धन पर काज कय रहल अछि। “मिशन मिथिलाक्षर”,
मैथिलवृन्द के मिथिलाक्षर सीखेबाक लेल मिथिलाक्षरक ई-पाठशालाक
संचालन कय रहल अछि जाहि में ह्वाट्सएप आ यूट्यूब चैनल के माध्यम सँ 100 दिन में
मिथिलाक्षर सीखाओल जा रहल अछि। मिथिलाक्षर प्रबोध के पाठ्यक्रम किछु एहि प्रकारे
बनाओल गेल अछि – प्रथम चरण में वर्णमालाक अभ्यास कराओल जाईत अछि, दोसर चरण में
मात्राक अभ्यास कराओल जाईत अछि आ तेसर चरण में संयुक्ताक्षरक अभ्यास कराओल जईत अछि,
तकर उपरांत अभ्यर्थी कते सिखलाह तकर जांच हेतू एकटा छोट-छीन मिथिलाक्षर प्रबोध के
परीक्षा होईत अछि। एहि पाठशालाक माध्यम सँ कियो मैथिलवृन्द पूर्णत: नि:शुल्क रूपे
मिथिलाक्षर-लिपि सीखि सकैत छथि आओर एहि संस्था सँ जुड़ि क एहि काजके आगू बढ़ा सकैत
छथि। मिथिलाक्षर लिपि सिखबाक लेल लेखक सं हुनक मोबाईल आ ईमेल सं संपर्क कयल जा
सकैत अछि।
जर्मनी
के एकीकरण लेल महान् क्रांतकारी नेता बिस्मार्क एकटा नारा देने रहथिन जे यदि देश में क्रांति अनबाक अछि तँ देशक बागडोर
नौजवानक हाथ में द देबाक चाही, अर्थात् यदि कुनो भी क्षेत्रक युवा वर्ग चाहि लैथ त
ओहि क्षेत्रक विकास निश्चित अछि। एकर अनुसरण करैत यदि हम सब मैथिल युवा ई ठानि ली जे अपन मिथिला क्षेत्र में हर हाल में
मिथिलाक्षर लिपि के लागू केनाई अछि त ओ दिन दुर नहिं जे संपूर्ण मिथिला क्षेत्र
मिथिलाक्षरमय भ जायत। एहि हेतू हम मैथिल युवा के आह्वाहन करबैन जे ओ सब मिशन
मिथिलाक्षर सं जुरैथ, स्वयं मिथिलाक्षर लिपि सीखैथ आ अपन धरोहरके अगिला पीढ़ी तक
पहुँचाबैथ, यदि एहन भेल त ओ दिन दूर नहि जे मिथिलाक्षर-लिपि, अपन आन-बानक संग पुन:
मैथिल जनमानस में पुनर्स्थापित भ जायत आ अपन समृद्ध ज्ञान सँ संपूर्ण विश्व के
मार्गदर्शन करत आओर मिथिला पुन: अपन गौरवशाली इतिहास के पुनर्जीवित करत। अंत में मात्र
एतबा कहब जे –
यदि
मैथिल युवक जँ नहि होयता फाड़ बान्हि के ठाढ़।
टक
टक तकैत, एहिना झखैत, पओता विपति अतिगाढ़।।
उज्ज्वल कुमार
झा
पुत्र श्री
राजेन्द्र झा, ग्राम + पोस्ट – बिजई,
जिला – मधुबनी,
बिहार – 847404
सम्पर्क सूत्र–9431693352, missionmithilakshar@gmail.com
Sunday, February 3, 2019
अभ्यास (दिन-1)
आय आहाँ सबके स्वर वर्ण
के अंतर्गत अ स ऊ तक सिखय के अछि । सबगोटे सँ आग्रह जे अपन सुविधा अनुसार दिन में
कखनहुँ 10 मिनट के समय निकालि अभ्यास करू।
इमेज के संग संग अभ्यासक
यू ट्यूब लिंक सेहो देल जा रहल अछि। सबगोटे अभ्यास करय सँ पहिने विडियो जरूर देखब, विडियो देखलाक
उपरांत अभ्यास करब तऽ अभ्यास आसान बुझैत।
उज्ज्वल झा
सह-संस्थापक
मिशन मिथिलाक्षर, दूर्वाक्षत (रजि.)
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